पारद शिवलिंग के फायदे THINGS TO KNOW BEFORE YOU BUY

पारद शिवलिंग के फायदे Things To Know Before You Buy

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पूजा करने से मिलती है भगवान शिव की कृपा

पारे से बने शिवलिंग का है विशेष महत्व, इसके स्पर्श मात्र से मिलता है पुण्य

शिव जी भांग,बेलपत्र और धतूरा अत्यधिक प्रिय है इसलिए शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए।

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समुद्र मंथन के दौरान उत्पन्न विष को पीकर भगवान शिव ने संसार को इसके विनाश से सुरक्षित रखा था। विष पीने से उनका कंठ नीला हो गया था, इसलिए उन्हें नीलकंठ कहा जाता है। विष की पीड़ा से उत्पन्न दाह को शांत करने के लिए देवताओं और ऋषियों ने शिवलिंग पर जल चढ़ाना शुरू किया था तब से यह परंपरा आज भी जारी है। शिवलिंग को भगवान शिव का प्रतीक मानकर पूजा जाता है और इसकी पूजा विधि-विधान के साथ की जाती है।

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पारद शिवलिंग के घर more info में होने से मां लक्ष्मी और कुबेर देवता विराजमान होते हैं। वहाँ धन-धान्य की कमी नहीं होती है।

कैसे पहचान सकते हैं – जब पारद शिवलिंग को थोड़ी देर जल में रखकर उसे धूप में रखते हैं तो पारद शिवलिंग पर शुद्ध स्वर्ण जैसी आभा आ जाती है। इसके अलावा अगर पारद शिवलिंग को हथेली पर घिसा जाए तो वह काली लकीर नहीं होती है। इस शिवलिंग से हथेली पर काली लकीर नहीं बनती है।

अभिषेक मध्ये तुप , पाणी , गंगाजल , मध, (पाच वस्तूने बनविलेले पंचामृत) , वापर करू शकता.

त्यावर चंदन पावडर चा लेप करावा, शक्य असेल तर रोज एक बेल जरूर ठेवावा , अक्षता अर्पित करावी , आणि तुपाचा दिवा लावून कपूर पेटवून आरती ओवाळावी.

ब्रह्म पुराण के अनुसार सावन में रोजाना पारद शिवलिंग की पूजा से मोक्ष प्राप्ति होती है। आइए जानें पारद शिवलिंग की पूजा का महत्व और शास्त्रों में पारद शिवलिंग का वर्णन।

साथ ही इसका आकार आपके अंगूठे के ऊपर वाले पोर से ज्यादा बड़ा नहीं होना चाहिए।

पारद शिवलिंग की पूजा पूर्व-उत्तर दिशा की ओर मुंह करके पूजन करना चाहिए।

शिवलिंग के शब्दिक अर्थ की बात की जाए तो शिव का अर्थ 'परम' कल्याणकारी है और लिंग का अर्थ 'सृजन' या 'प्रतीक' है। तो, शिवलिंग एक तरह से भगवान शिव का प्रतीक है। पुराणों के अनुसार शिवलिंग के मूल में ब्रह्मा, मध्य में भगवान विष्णु और ऊपर के भाग में भगवान शंकर विराजमान हैं।

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